राजयोग और आध्यात्म शक्ति ने मुझे अंधकारमय जीवन से बाहर निकाला: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

संघर्षनामा न्यूज। श्रीगोंदा 

दि. 5 जाने. 2023

प्रतिनिधी,                        

आबू रोड/राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के विभिन्न सेवाकेन्द्रों पर जो आध्यात्म शक्ति प्राप्त होती है उसका ज्वलंत उदाहरण यह है कि एक समय मैं स्वयं अंधकारमय जीवन की ओर अग्रसर हो गई थी। मेडिटेशन और ध्यान योग के माध्यम से मुख्य धारा में लौटी। उक्त उद्गार देश की राष्ट्रपति श्रीमति द्रोपदी मुर्मु ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के तहत आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्वर्णिम भारत का उदय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि विश्व में अनेकों संस्थान कार्यरत हैं लेकिन ब्रह्माकुमारीज एक ऐसा संस्थान है जो बहनों द्वारा संचालित की जाती है। संस्थान में वरिष्ठ भाईयों द्वारा पीछे से सहयोग किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं। एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारीज ही नहीं ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। आज यह संस्थान विश्व के 137 देशों में पांच हजार सेवाकेंद्रों का संचालन कर रही है। इसके संचालन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होती है। संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है। ब्रह्माकुमारीज महिलाओं के सशक्तिकरण में सक्रिय भूमिका निभा रही है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि आज देश में बहनों और बेटियों के साथ जो घटनाएं हो रहीं ऐसे में उन्हें शक्ति स्वरूप बनकर आगे आना होगा। ब्रह्माकुमारी बहनें-बेटियां लोगों के अंदर सतोगुण जागृत करने के लिए जागरूक करने का कार्य करें। ब्रह्माकुमारी बहनों लोगों में प्रेम, शांति और आत्मीयता को भरने और उनके अंदर विकारों को समाप्त करने का कार्य कर रही हैं। राजयोग से मेरा जीवन अंधकारमय से दूर हुआ। 

मुर्मू ने कहा कि युद्ध और कलह के वातावरण में विश्व समुदाय समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। हमें कलियुग की मानसिकता को खत्म करना होगा और सतयुग की मानसिकता का आह्नान करना होगा। इसके लिए हम सबको मन में सत्वगुण को अपनाने का प्रयास करना होगा। मैं संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा को नमन करती हूं | दया और करुणा भारतवासियों के मूल्यों में है...

राष्ट्रपति ने कहा कि दया और करुणा की भावना भारतवासियों के जीवन मूल्यों में है। माउंट आबू से शुरू हुआ ये अभियान समस्त भारतवासियों को सशक्त बनाने और समाज को सशक्त बनाने में संबल प्रदान करे। बता दें कि राष्ट्रपति बनने के बाद मुर्मु का ब्रह्माकुमारीज में पहला दौरा है। इसके पूर्व वह झारझंड का राज्यपाल रहते हुए दो बार और माउंट आबू सात बार आ चुकी हैं।भारत शांतिदूत की भूमिका निभा रहा है-उन्होंने कहा कि भारत इस समय जी -21 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसका थीम है वसुधैव कुटुम्बकम यानी वन अर्थ वन फैमिली, वन फ्यूचर।  अपनी संस्कृति के आधार पर हमारा देश आध्यात्मिक और नैतिकता के निर्माण के लिए सक्रिय है। हमारे देश ने कोरोना काल में भी विश्व के अन्य देशों की मदद की।

भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, आदि शंकराचार्य और संत कबीर, महात्मा गांधीजी की शिक्षाओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ भारत शांति के अग्रदूत की भी भूमिका निभा रहा है।(रायगडका युवक)

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